14 फरवरी, 2019. शाम के करीब 3 बजकर 20 मिनट हो रहे थे. इसी वक्त जम्मू -कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने सीआरपीएफ के एक बड़े काफिले पर हमला कर दिया. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए. तमाम घायल हैं.
पुलवामा में अवंतीपोरा के गोरीपोरा इलाके में सीआरपीएफ की तीन बटालियनें 35, 54 और 179 जा रही थीं. करीब 70 गाड़ियों में 2500 से ज्यादा जवान थे. उनकी गाड़ियां हाईवे से गुजर रही थी.
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इसी दौरान हाईवे पर एक कार खड़ी थी. पुलिस के मुताबिक कार IED से भरी थी और इस कार को CRPF के काफिले से टकरा दिया गया. जोरदार धमाका हुआ, जिसकी चपेट में आकर सेना की गाड़ी के चिथड़े उड़ गए. कई और गाड़ियां भी चपेट में आ गईं. कहा जा रहा है कि कुछ जवानों ने बचने की कोशिश की, तो आतंकियों ने उनपर फायरिंग कर दी और फरार हो गए. इस आतंकी हमले में करीब 50 से ज्यादा जवानों को गोली लगी.
जैश-ए-मोहम्मद ने ली जिम्मेदारी
कश्मीर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस आतंकी घटना की जिम्मेदारी ली है. हमले के बाद पूरे दक्षिणी कश्मीर में हाई अलर्ट जारी किया है. फिलहाल अवंतिपोरा में सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की कई कंपनियां लगा दी गई हैं. इससे पहले भी सुरक्षा बलों को खुफिया एजेंसियों ने एक अलर्ट जारी किया था और कहा था कि IED ब्लास्ट हो सकता है. ये अलर्ट 8 फरवरी को जारी हुआ था. यानी कि संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु और जेकेएलएफ के संस्थापक मोहम्मद मकबूल भट्ट की फांसी की बरसी से ठीक पहले. कहा गया था कि सुरक्षा बलों के आने-जाने के रास्तों पर धमाका हो सकता है. और इस अलर्ट के एक हफ्ते के बाद ही ये धमाका हो गया.
उड़ी से भी बड़ा आतंकी हमला
18 सितंबर, 2016 को उड़ी में हुए हमले से भी ये बड़ा आतंकी हमला है. उड़ी हमले में 19 जवान शहीद हुए थे. इसके अलावा चार आतंकी भी मारे गए थे. और अब इस हमले में अब तक 42 जवान शहीद हो चुके हैं. घाटी के न्यूज़ चैनलों को दिए गए एक बयान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रवक्ता ने बताया है कि इस आतंकी हमले को अंजाम उसके ही संगठन ने दिया है. हमले के लिए जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया गया, उसे चलाने वाले का नाम आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडो है. वो पुलवामा के गुंडी बाग का रहने वाला है.
एक ही दिन पहले खुला था हाईवे
कश्मीर में पिछले दिनों भारी बर्फबारी हुई थी. इसकी वजह से श्रीनगर-जम्मू कश्मीर नेशनल हाईवे बंद कर दिया गया था. ये नेशनल हाईवे कश्मीर घाटी को देश के दूसरे हिस्से से जुड़ता था. एक हफ्ते की बर्फबारी के खत्म होने के बाद 13 फरवरी को इस हाईवे को खोला गया था. 14 फरवरी को इसी हाईवे पर CRPF की बटालियन 35, बटालियन 54 और बटालियन 179 जा रही थी.
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