देशभर में जहां एक तरफ ईद का जश्न मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत माता के शेर औरंगजेब को अंतिम विदाई दी गई। शहीद औरंगजेब का पार्थिव शरीर शनिवार दोपहर करीब एक बजे पुंछ में उनके गांव सलानी पहुंचा।
शहीद के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इनमें न सिर्फ उनके गांव के लोग, बल्कि बड़ी संख्या में आसपास के गांव वाले भी पहुंचे हैं। इस दौरान सेना के अफसर और जवान भी अपने इस साथी को अंतिम विदाई देने यहां पहुंचे।
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शहीद औरंगजेब को सुपुर्द-ए-खाक किए जाने से पहले सेना के अफसरों ने उनके पिता मोहम्मद हनीफ से मुलाकात की। देश के लिए अपने बेटे को गंवा चुके मोहम्मद हनीफ के इरादे अब भी कमजोर नहीं पड़े हैं। वह अब भी कह रहे हैं कि घाटी के लिए आतंक घातक है। वह घाटी में मौजूद आतंकवाद के लिए वहां के नेताओं को जिम्मेदार मानते हैं।
उन्होंने सेना के अफसरों कहा, सेना को अब कश्मीर से आतंकवाद को उखाड़कर फेंकना होगा। उन्होंने कहा, घाटी में नेता सत्ता के लिए जवानों को मरवा रहे हैं। लेकिन अब आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख दिखाना होगा। उन्होंने कहा मुझे सिर्फ अपने बेटे को खोने का दर्द नहीं है, ये सिर्फ मेरे परिवार का दुख नहीं है।
शहीद जवान के उनके पार्थिव शरीर को श्रीनगर की बादामी बाग छावनी स्थित 92 बेंस हॉस्पिटल में रखा गया था, जहां से भारतीय सेना द्वारा शहीद जवान के पार्थिव शरीर को विमान के जरिये श्रीनगर से पुलवामा और फिर उनके गांव लाया गया। औरंगजेब को आतंकियों ने बीते गुरुवार की सुबह अगवा कर लिया था, जिसके बाद उनका गोलियों से छलनी शव पुलवामा से बरामद हुआ था। वह ईद मनाने के लिए छुट्टी लेकर अपने घर जा रहे थे। औरंगजेब के चाचा को भी 2004 में आतंकवादियों ने मार डाला था। औरंगजेब के पिता खुद सेना से रिटायर हैं, जबकि उनका एक बड़ा भाई सेना में है।
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